नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा 42 पहुंच चुका है। नालों और जले घरों-गाड़ियों से निकलने वाली लाशें लोगों को और भी डरा रही हैं। वहीं इस हिंसा के बाद बहुत सी ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं, जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की दास्तां बता रही हैं या फिर किसी को हीरो बना रही हैं। ऐसी ही एक कहानी है मुश्तारी खातून की, जो अधिकतर अपने घर में ही रहती हैं और सिलाई का काम करती हैं, ताकि परिवार के भरण-पोषण में पति का हाथ बंटा सकें। लेकिन 25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 42 साल की खातून घर से बाहर निकलीं और बहुत सारे लोगों की जान बचाकर हीरो बन गईं।
25 फरवरी को जब खातून के परिवार को मदद की जरूरत थी, तो वह दंगों भरी सड़कों से पत्थरों और पेट्रोल बम से बचते हुए करीब 1 किलोमीटर चलकर अपने परिवार को बचाने खजूरी खास पहुंचीं। वहां एक-दो नहीं, बल्कि 40 लोग फंसे हुए थे, जिन्हें मुश्तारी खातून ने बड़ी होशियारी से बचाकर निकाल लिया। इसके लिए उन्होंने घरों की छतों का इस्तेमाल किया और उन्हीं से होते हुए वह सभी 40 लोगों को लेकर पुलिस की एक टीम तक जा पहुंचीं, जिन्होंने सभी को सुरक्षा मुहैया कराई।
मुश्तारी खातून बन गईं 'एक हीरो'
वह अपने पति के साथ चंदू नगर में रहती हैं और अब वहां लोग उन्हें 'एक हीरो' कहने लगे हैं। खातून ने शनिवार को बताया कि वह जानती थीं कि अगर कोई खजूरी खास नहीं जाता, तो वहां फंसे सभी 40 लोगों की जान जा सकती थी। वह अब खुश हैं कि उनकी भतीजी और भांजी सही सलामत हैं। मुश्तारी कहती हैं कि उन्होंने सोमवार को पूरे दिन इंतजार किया, लेकिन मंगलवार को वह सुबह-सुबह ही अपने परिवार की मदद के लिए निकल पड़ीं। बता दें कि खजूरी खास मेन करावल रोड पर है, जहां भारी संख्या में दंगाई जमा थे। जब खातून खजूरी खास में फंसे रिश्तेदारों को बचाने पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि सड़कों से निकलते का कोई रास्ता नहीं है। हर जगह दंगाइयों की भीड़ थी, जो एक दूसरे पर हमले कर रही थी और कारों, बाइकों और घरों को आग के हवाले कर रही थी।
घरों की छतों से निकाले 40 लोग
खातून ने बताया कि वहां पहुंचने के बाद अगले 4 घंटे काफी खतरनाक थे, क्योंकि वहां आस-पास दंगाई जमा होते जा रहे थे। वहां सारे लोग पहले एक जगह पर जमा हुए। तेजी से करीब आती भीड़ को देखकर खातून ने कहा कि घरों की छतों पर कूदकर यहां से निकला जाए। ऐसे में कम उम्मीद थी कि भीड़ उन्हें देख पाती। बता दें कि वहां घर काफी नजदीक या चिपके हुए हैं। खातून ने लोगों की मदद के लिए अपने पड़ोसियों को भी बुला लिया था। इस तरह वह एक पुलिस टीम तक जा पहुंचे, जिन्होंने सबको चंदू नगर तक जाने के लिए मुख्य मार्ग पर सुरक्षा दी। पुलिस के साथ चंदू नगर के करीब 100 लोगों ने सबको बचा लिया।
मुश्तारी खातून ने 8 परिवारों को बचाया, जो उनके रिश्तेदार ही हैं। वह बताती हैं कि उन्हें डर नहीं लग रहा था। उनका फोकस सिर्फ इस बात पर था कि कैसे परिवार को यहां से बाहर निकाला जाए। वह बोलीं- हमें कोई मदद नहीं मिल रही थी। वहां लोग लाठी-डंडे, पत्थर और पेट्रोल बम लिए गलियों में मौजूद थे और पुलिस दूर-दूर तक कहीं नहीं दिख रही थी। अगर मैंने सबको बचाने का फैसला नहीं किया होता तो बहुत से लोगों की जान चली जाती।